Go To Mantra

स॒त्यमू॑चु॒र्नर॑ ए॒वा हि च॒क्रुरनु॑ स्व॒धामृ॒भवो॑ जग्मुरे॒ताम्। वि॒भ्राज॑मानांश्चम॒साँ अहे॒वावे॑न॒त्त्वष्टा॑ च॒तुरो॑ ददृ॒श्वान् ॥६॥

English Transliteration

satyam ūcur nara evā hi cakrur anu svadhām ṛbhavo jagmur etām | vibhrājamānām̐ś camasām̐ ahevāvenat tvaṣṭā caturo dadṛśvān ||

Mantra Audio
Pad Path

स॒त्यम्। ऊ॒चुः॒। नरः॑। ए॒व। हि। च॒क्रुः। अनु॑। स्व॒धाम्। ऋ॒भवः॑। ज॒ग्मुः॒। ए॒ताम्। वि॒ऽभ्राज॑मानान्। च॒म॒सान्। अहा॑ऽइव। अवे॑नत्। त्वष्टा॑। च॒तुरः॑। द॒दृ॒श्वान् ॥६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:33» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:2» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जैसे (ऋभवः) बुद्धिमान् जन (एताम्) इस (स्वधाम्) अन्न को (जग्मुः) प्राप्त होते हैं और यथार्थ वक्ताओं के आचरण को (अनु, चक्रुः) करें वैसे (एवा) ही (नरः) मनुष्य (सत्यम्) यथार्थ (ऊचुः) कहें और जो (हि) जिससे (त्वष्टा) जानने वाला (चतुरः) चार को (ददृश्वान्) देखनेवाला होवे वह (विभ्राजमानान्) प्रकाशित हुए (चमसान्) मेघों को (अहेव) दिनों के सदृश चार पदार्थों की (अवेनत्) कामना करता है ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । मनुष्यों को चाहिये कि इस संसार में यथार्थवक्ताओं का अनुकरण करके जैसे क्रम से वर्त्ताव कर दिन वर्षा ऋतु को प्राप्त होते हैं, वैसे ही क्रम से कर्म, उपासना और ज्ञान, सत्यभाषण आदि को बढ़ा के धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को सिद्ध कराते हैं, यह जानें ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

यथर्भव एतां स्वधां जग्मुराप्ताचरणमनुचक्रुस्तथैव नरः सत्यमूचुर्यो हि त्वष्टा चतुरो ददृश्वान् भवेत् स विभ्राजमानांश्चमसानहेव चतुरः पदार्थानवेनत् ॥६॥

Word-Meaning: - (सत्यम्) यथार्थम् (ऊचुः) वदन्तु (नरः) मनुष्याः (एवा) अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (हि) यतः (चक्रुः) कुर्य्युः (अनु) (स्वधाम्) अन्नम् (ऋभवः) मेधाविनः (जग्मुः) प्राप्नुवन्ति (एताम्) एतत् (विभ्राजमानान्) प्रकाशमानान् (चमसान्) मेघान्। चमस इति मेघनामसु पठितम्। (निघं०१.१) (अहेव) अहानीव (अवेनत्) कामयते (त्वष्टा) ज्ञाता (चतुरः) (ददृश्वान्) दृष्टवान् ॥६॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । मनुष्यैरिहाप्तानुकरणं कृत्वा यथाक्रमेण वर्त्तित्वा दिनानि प्रावृडृतुं प्राप्नुवन्ति तथैव क्रमेण कर्मोपासनाज्ञानानि सत्यभाषणादीनि वर्द्धयित्वा धर्मार्थकाममोक्षान् साधयन्तीति विज्ञातव्यम् ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. माणसांनी विद्वानांचे अनुकरण करून क्रमाने जसा वर्षा ऋतू येतो तसेच क्रमाने कर्म, उपासना, ज्ञान, सत्यभाषण इत्यादी वाढवून धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सिद्ध करता येते हे जाणावे. ॥ ६ ॥